पाकिस्तानी फिल्में भारत में भी हों रिलीज

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संस्कृति और संवेदनशीलता भारत से कहीं न कहीं मिलती-जुलती है। पाकिस्तान की प्रशंसित फिल्म ‘जिंदा भाग’ के सह निर्देशकों मीनू गौर और फरजान नबी का कहना है कि भारत पाकिस्तानी फिल्मों के प्रदर्शन के लिए संभावित माहौल बनाता है।

भारतीय अभिनेता नसीरुद्दीन शाह अभिनीत फिल्म ‘जिंदा भाग’ का नामांकन 86वें अकादमी पुरस्कारों के लिए हुआ है। ‘जिंदा भाग’ पाकिस्तान की ओर से अकादमी पुरस्कारों में जाने वाली पहली फिल्म है क्योंकि पिछले पिछले 50 सालों में यह पहली फिल्म है। भारत में इससे पहले भी कई फिल्में प्रदर्शित हुई है।

2008 में शोएब मंसूर की ‘खुदा के लिए’ प्रदर्शित हुई।
महरीन जब्बार की ‘रामचंद पाकिस्तानी’ भारत में प्रदर्शित हुई थी।
2011 में मंसूर की पाकिस्तानी फिल्म ‘बोल’ भारत में प्रदर्शित हुई थी जिसको काफी प्रशंसा भी मिली। असके बाद अब ‘जिंदा भाग’ भारत में प्रदर्शित होगी इस फिल्म के जरिये निर्माता-निर्देशक ने अवैध तरीके से अवैध ढंग से सीमा पार करने जैसे मुद्दों को दिखाया है और निर्माता-निर्देशक को उम्मीद है कि उनकी फिल्म को काफी सराहना मिलेगी।

अबु धाबी फिल्म महोत्सव (एडीएफएफ) में नबी के साथ मीनू गौर भी आई थी। उन्होंने आइएएनएस को बताया कि उन्हें लगता है कि पाकिस्तानी फिल्मों को भारत में प्रदर्शित करने की जरूरत है। गौर ने कहा कि इस तरह की फिल्में सीमापार के लोगों को आपस में जोड़ेंगी। नबी ने बताया कि फिल्म को पाकिस्तान में फिल्म के प्रदर्शन का पांचवां सप्ताह और अमेरिका में दूसरा सप्ताह चल रहा है और जल्द ही यह फिल्म कनाडा में और फिर भारत में भी प्रदर्शित होगी।

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